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जमीन फर्जीवाड़ा:- तहसीलदार, आरआई और पटवारी सहित 5 के खिलाफ FIR,फर्जी दस्तावेज के जरिये 22 एकड़ सरकारी जमीन में बेचने का आरोप

मनेन्द्रगढ़:- फर्जीवाड़ा कर जमीन बिक्री करने के मामले में तत्कालीन तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी सहित पांच आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। पुलिस के मुताबिक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मनेंद्रगढ़ के न्यायालय की ओर से सिटी कोतवाली को आदेश दिया गया है, जिसमें उल्लेख है कि वार्ड क्रमांक 13 जंहगीर मोहल्ला मनेन्द्रगढ़ एमसीबी निवासी आवेदक अरविंद कुमार वैश्य द्वारा न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। परिवादीगण मनेन्द्रगढ़ के स्थायी निवासी हैं। नदीपारा मनेन्द्रगढ़ पटवारी हलका नंबर 14 में राजस्व भूमि खसरा नंबर 198/1 रकबा 22 एकड़ स्थित है, जो शासकीय जमीन थी एवं शासकीय भूमि का पट्टा परिवादी गण के दादा मूलचंद लंहगीर को मिली थी।

इन लोगों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर

अमन तिग्गा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मनेन्द्रगढ जिला कोरिया के निर्देश पर मनेंद्रगढ़ थाना में जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें राजेश पुरी लुधियाना पंजाब, पटवारी सुरनद्रपाल मनेन्द्रगढ, पटवारी अनुराग गुप्ता बैकुण्ठपुर, तहसीलदार बजरंग साहू और राजस्व निरीक्षक संदीप सिंह शामिल हैं।

यह है पूरी कहानी

इस मामले में अरविंद कुमार वैश्य ने कोर्ट में आवेदन दिया था। अरविंद कुमार ने अपने लिखित आवेदन में कोर्ट को बताया कि दीपारा मनेन्गढ प.ह.न. 14 में राजख भूमि खसरा न: 198/1 रकबा 22 एकड़ स्थित है। यह भूमि उनके दादा मूलचं लंहगीर को पट्टा पर मिला था। मूलचंद की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ज्ञानचंद वैश्य, वृंदावन वैश्य और सेवाराम का नाम राजस्व ‘अभिलेख में विरासतन हक से दर्ज किया गया।

राजेश पुरी ने ज्ञानचंद वैश्य, वृदावन वैश्य और सेवाराम वैश्य से विथि विरूद्ध तरीके से उक्त भूमि सन् 1978 में क्रय कर ली थी। वह जमीन भूमि शासकीय पटेपर प्रात भूमि थी, इस कारण उक्त भूमि की बिक्री के लिए कलेक्टर की अनुमति की आवश्यकता थी, लेकिन कलेक्टर की अनुमति के बिना ही उसकी बिक्री कर दी गई।

इसकी शिकायत अपर कलेक्टर से की गईं। तब अपर कलेक्टर ने सभी पक्षों की सुनवाई की। अपर कलेक्टर ने अपने फैसले में राजेश पुरी के पक्ष में सन् 1978 में किया गया बिक्री का पंजीयन निरस्त कर दिया और भूमि शासन के पक्ष में निहित किये जाने का आदेश पारित किया।

अपर कलेक्टर के आदेश पर जमीन को शासकीय भूमि के रुप में दर्ज कर लिया गया। अपर कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध प्रा्थी और उसके भाईयों ने कमिश्वर अम्बिकापुर के यहां अपील की। इसके बाद मामला राजस्व मंडल में पहुंचा। मंडल ने कमिश्नर को मामले की सुनवाई करने के लिए निर्देशित किया।

इस बीच राजेश पुरीने राजस्व मंडल के आदेश 10.07.15 के विरूद्ध उच्च न्यायालय में याचिका पेश की थी, जिसका न: WP 227 NO 687 of 2015 था जिसमें उच्च न्यायालय ने कमिश्चर के समक्ष लंबित अपील को स्थपित कर दी। इसी दौरान राजेश पुरी और पटवारी सुरेन्र पाल सिंह, राजस्व निरीक्षक संदीप सिंह ने फर्जी दस्तावेज और झठा प्रतिवेदन तैयार करके भूमि की बिक्री के लिए दस्तावेज तैयार कर दिये। राजेश पुरी,
तत्कालीन पटवारी अनुराग गुप्ता और तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू ने मिलकर कलेक्टर के आदेश से जो राजस्व अभिलेख.1 0.21 को शासन के नाम पर दुरूस्त किया गया था पुनः बिना किसी आदेश और कमिश्नर के समक्ष अपील लंबित रहते दौरान राजस्व अभिलेखों में 07.12.21 को खसरा नं: 198/1 में शासन का नाम हटाकर राजेश पुरी का नाम फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया।

इसके आधार पर राजेश पुरी ने 22 एकड़ जमीन मेंसे राहुल सिंह परिहार, मृणालिनी सिंह परिहार, गिरधारी लाल गुप्ता, जनप्रीत सिंह खनूजा, रंजीत सिंह चावला और कैशरजहां 12.07. .23 को बेच दिया गया। अब कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने जांच शुरू कर दिया है।

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