कोरिया. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक और बाघ की मौत हो गई है. अब बाघ के शव का पोस्टमार्टम होगा. उसके बाद ही उसके मौत की सही वजह सामने आ सकेगी. ग्रामीणों की मानें तो बाघ की मौत 2 तीन दिन पहले ही हो चुकी थी, लेकिन वन विभाग के कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों को इसकी जानकारी तब हुई जब बाघ के शव से दुर्गंघ आने लगी. वहीं सरगुजा वन विभाग की टीम के सीसीएफ मौके पर पहुंचे और बारीकी से निरीक्षण किया. कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों ने चारों ओर बेरिकेटिंग की.
जांच में सबसे पहले जानकारी निकल कर सामने आई है कि बाघ के नाखून और मूंछें सही सलामत है. बाघ पूर्ण व्यस्क नर बाघ है. उसके पहले कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में आवाजाही का रिकॉर्ड नहीं है. जहां बाघ की मौत हुई उसे ऑरेंज एरिया कहा जाता है. ऑरेंज एरिया हालांकि कोरिया वन मंडल में ही आता है. बैकुंठपुर से 80 किमी दूर स्थित कटवार गांव के पास निकलने वाले नाले के नजदीक बाघ का शव मिला था. मौत के स्थान से लगभग 1 किमी की दूरी पर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान शुरू हो जाता है.
पहले भी हो चुकी है बाघ की मौत
साल 2022 में इसी इलाके में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत रेंज में एक बाघिन की मौत हुई थी. 4 लोगों पर जहर देकर बाघ को मारे जाने की बात सामने आई थी. चारों पर विभाग ने कार्रवाई की थी. इससे पहले 2018 में इसी क्षेत्र के सुकतरा गांव में एक बाघ की मौत हो गई थी. अब इसी क्षेत्र में बाघ के मारे जाने की तीसरी बड़ी घटना सामने आई है.
छतीसगढ़ के चार और बांधवगढ में 10 हाथी की एक पखवाड़े में हुई मौत के बाद अब टाइगर की मौत का मामला सामने है।
छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही वन्य जीवों की मृत्यु ने वन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के कर्मठता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है
भारत सरकार और बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा दिए गए सुविधाओं का धरातल पर वन्य जीवों की सुरक्षा में किसी भी प्रकार का सदुपयोग नजर नहीं आ रहा है