दुर्ग की के. शारदा 50 शिक्षकों में से एक हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के विजेताओं के नाम घोषित किए हैं। 50 नामों की लिस्ट में 2 दिव्यांग टीचर हैं जिनमें से एक दर्ग की के. शारदा हैं। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर सभी का सममान किया जाएगा।
के. शारदा ने की तो पता चला कि वह 20 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं। अभी वे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा में पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि जब वह 3-4 साल की थी, तब से पोलियो के कारण कमर से नीचे का हिस्सा 80 प्रतिशत दिव्यांग है। इनके बड़े भाई कांधे पर बैठाकर स्कूल ले जाते थे।
सीढ़ियां नहीं चढ़ पाने से सरकारी स्कूल में पढ़ाई की
के. शारदा भिलाई कैंप 1 की रहने वाली हैं। परिवार में मां-बाप और दो भाई बहन हैं। के. शारदा ने बताया कि BSP स्कूल कैंप-1 में 8वीं तक पढ़ाई की हैं, लेकिन 9वीं कलास में सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता था। दिव्यांग होने के कारण चढ़ नहीं पाती थी।
ऐसे में 9वीं से 12वीं सरकारी स्कूल और फिर सरकारी कॉलेज से BA इकोनॉमिक और MSC मैथ की डिग्री हासिल है। 2019 से टीचिंग लाइन में आईं। फिलहाल वें खेदामारा में गणित विषय की टीचर हैं।
कोरोना-काल में आया बदलाव, डिजिटल पैटर्न समझा
के. शारदा ने बताया कि कोरोना के दौरान जब बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे थे, तो उन्होंने डिजिटल पैटर्न में जाने की ठानी। घर पर ही टीचिंग लर्निंग मटेरियल के जरिए गणित के अलग-अलग टॉपिक पर वीडियो बनाना शुरू किया। अब तक वे270 से ज्यादा वीडियो बना चुकी हैं।
शारदा ने बताया कि वीडियोज को यू-ट्यूब चैनल में अपलोड कर बच्चों तक पहुंचाती थी। इसके जरिए उनके स्कूल के ही नहीं, बल्कि दूसरे स्कूलों के बच्चों ने भी वीडियो देखकर गणित का कोर्स कम्प्लीट किया। उनके वीडियो को प्रदेश में काफी पसंद किया गया।
20 अलग-अलग विषयों पर किताबें लिखी
अध्यापिका के शारदा ने बताया कि, उन्होंने ऑडियो-वीडियो बुक्स, ई-कंटेट और खिलौना बुक बनाकर बच्चों के लिए खेल-खेल में पढ़ाई को आसान बनाया। पाठ्यक्रम को आसान बनाने के लिए 20 अलग-अलग विषयों पर किताबें लिखी। कुछ किताबें सरकारी स्कूलों में बतौर पाठ्यक्रम शामिल की गई हैं।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत भी एक बुक बनाई नैतिक शिक्षा का सार..इसमें 50 कहानियों का संग्रह है। इसका छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया है। बस्तर क्षेत्र के बच्चों के लिए हल्बी और हिंदी भाषा में भी किताबें लिखी हैं, जो बस्तर के कल्चर को बताती है, जिनसे स्कूलों में पढ़ाई हो रही है।
शारदा ने टीएलएम बुक बनाई
के. शारदा ने टीएलएम बुक में भी अपना कॉन्ट्रबयूशन दिया है। इसे 33 जिलों के शिक्षकों ने मिलकर बनाया। महत्वपूर्ण तिथियों का सार बुक में लिखा गया। साथ ही गणित की एक किताब लिखी है, जिसमें QR कोड के माध्यम से यू-टयूब लिंक दिए गए हैं।
सम्मान मिलने पर मां ने जताई खुशी
माता-पिता ने पहले भी उसकी पढ़ाई या उसकी इच्छा पर रोक-टोक नहीं किया। के. शारदा की मां सावित्री ने बताया कि बेटी को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिलने पर बहुत खुश हैं। के शारदा के भाईं ने बताया कि कईं बार वह अपनी बहन को कंधों पर बिठाकर स्कूल लेकर जाते थे। अब सफलता देखकर खुशी होती है। राष्ट्रपति अवॉर्ड पाकर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने पर स्कूल स्टाफ भी खुश है।
राज्यपाल के हाथों भी हो चुकी हैं सम्मानित
के शारदा वर्ष 2023 में राज्य स्तरीय शिक्षक समान समारोह में राज्यपाल के हाथों भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हं तत्कालीन राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने सम्मान दिया था। के शारदा बचपन से ही पोलियो से पीडित थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए नए नवाचार करती जा रही हैं। अब वे राष्ट्रपति के हाथों सममानित होंगी। इस लिस्ट में 28 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षकों को शॉर्ट लिस्टेड किया गया है। लिस्ट में 34 पुरुष, 16 महिलाओं का नाम है।