कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले 43 नए कॉलेज खोलने की घोषणा की। प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू हो गई, लेकिन इन कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई। इन कॉलेजों में प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के 495 पद स्वीकृत हैं। इसके बावजूद, केवल एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की गई है। अब उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के अन्य कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों से इन कॉलेजों में पदस्थापन के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।अब उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के दूसरे कॉलेजों में पदस्थ शिक्षकों से इन कॉलेजों में पोस्टिंग का आवेदन मंगाया है। इस सत्र से यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीतिलागू की जा चुकी है। एडमिशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, लेकिन 43 कॉलेजों में शिक्षक ही नहीं ैं। चुनाव के दौरान वाहवाही लूटने के लिए कॉलेज खोलने का आह्वान किया गया था।
बिना सर्वे और तैयारी के किया ऐलान
जहां कॉलेज खोले गए थे, वहां बिना किसी सर्वेया तैयारी के कॉलेज खोलने का ऐलान कर दिया। स्कूल के दो-चार कमरों को कॉलेज के लिए दे दिया गया। दूसरे कॉलेज के प्राचार्य को प्रभारी बना दिया गया। बीए, बीएससी, बीकॉम पीजीडीए जैसे विषय भी खोल दिए, पर कोई सुविधा नहीं दी गई। प्रभारी होने के कारण प्राचार्य महीने में एक-दो बार ही कॉलेज जाते हैं। लैब-लाइब्रेरी भी नहीं है। इन सबका
खमियाजा छात्रोंको भुगतना पड़ रहा है।
प्रोफेसर के 682, असिस्टेंट प्रो. के 2169 पद खाली
प्रदेश में प्रोफेसर के 682 पद स्वीकृत। इनमें से अधिकांश पद खाली हैं। बिलासपुर जिले के 17 कॉलेजों में प्रोफेसर के 48 पद स्वीकृत हैं। सभी पद खाली हैं। इसी तरह प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर के 5315 पद स्वीकृत हैं। इनमें 3146 कार्यरत हैं और 2169 पद खाली हैं। प्रदेश के 226 यूजी कॉलेजों में 23 रेगुलर प्रिंसिपल हैं। 203 पीजी कॉलेज में 59 नियमित प्रिंसिपल हैं।