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Share Market: शेयर बाजार धड़ाम, 17 लाख करोड़ खाक, अमेरिकी मंदी का हम पर क्या पड़ सकता है असर?

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका से भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के शेयर बाजार बिखर गए। सेंसेक्स 2600 अंक के करीब गिर गया, तो निफ्टी भी 24,000 अंक के नीचे आ गया। अनुमान है कि शेयर बाजार की इस गिरावट से निवेशकों को लगभग 17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। शेयर बाजार में यह भूचाल अमेरिका में मंदी आने की आहट के कारण आया है।

दरअसल, अमेरिका के हाल में जारी आंकड़े दिखाते हैं कि वहां की कंपनियों के सकल मैन्युफैक्चरिंग आंकड़े (पीएमआई) में कमी आई है। इसका अर्थ है कि अमेरिका में निर्माण में कमी आ रही है। इसका सीधा असर वहां की कुछ बड़ी कंपनियों में छंटनी के रूप में सामने आ सकता है। यदि ऐसा होता है तो अमेरिका में बेरोजगारी का दौर बढ़ेगा। इसके कारण वहां की प्रमुख कंपनियों के उत्पादों की खपत में कमी आ सकती है

इसका एक असर भारत से एक्सपोर्ट होने वाली वस्तुओं के निर्यात में कमी के रूप में भी सामने आ सकती है। यानी अमेरिका में मंदी आई, तो इसका असर केवल वहीं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसके कारण दुनिया भर से अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है। इससे मंदी का असर वैश्विक रूप ले सकता है।

भारत पर बड़े असर की संभावना नहीं’
यदि अमेरिका में मंदी आती है, तो इसका भारत पर क्या असर पड़ सकता है? अमर उजाला के इस प्रश्न के जवाब में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस ओर संकेत कर रही है कि वह मंदी की चपेट में आ सकता है। यह कितना व्यापक और कितना गहरा होगा, इसका आकलन अगली दो तिमाही के पीएमआई के आंकड़े ही बता पाएंगे। लेकिन शुरूआती लक्षण ठीक नहीं है, इसका अर्थ है कि यदि अमेरिकी सरकार ने दखल नहीं दिया, तो भविष्य में स्थिति ज्यादा खराब हो सकती

जहां तक भारत पर इसके कारण पड़ने वाले असर की बात है, इसका सीधा असर भारत के उन क्षेत्रों पर पड़ सकता है जिनसे अमेरिका को निर्यात किया जाता है। इसमें खाने-पीने वाली चीजों के निर्यात, फल-फूल और सब्जी के निर्यात, डेयरी उत्पादों और कृषि-प्रसंस्कृत कंपनियों के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के निर्यात में कमजोरी आ सकती है। यदि निर्यात में कमी होती है तो तो भारतीय कंपनियों पर भी इसका असर पड़ सकता है। उत्पादन कमजोर होने से यहां भी छंटनी का सामना करना पड़ सकता है।

जो लोग अमेरिकी कंपनियों के लिए काम कर रही बीपीओ कंपनियों में काम कर रहे हैं, वहां मंदी होने का सीधा असर उन पर पड़ सकता है। इसी तरह जो भारतीय अमेरिका में रहकर नौकरी कर रहे हैं, उनकी नौकरियों पर भी खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में ऐसे लोगों के द्वारा भारत को भेजा जाने वाला धन और उन पर आश्रित लोगों के जीवन पर भारत में भी असर पड़ सकता है।

ज्यादा असर की संभावना नहीं
लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा आंतरिक बाजार पर निर्भर करता है, यही कारण है कि वैश्विक बदलाव भी भारत में बड़ा झटका नहीं साबित होते। ऐसे में इस अमेरिकी मंदी का एक सीमित असर ही भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। चूंकि केंद्र सरकार ने लगातार मूलभूत ढांचे में निवेश को अपनी प्रमुखता बना रखी है, यहां पर रोजगार सृजन बना रहेगा। यही कारण है कि भारत पर इस मंदी का सीधे तौर पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि इस मंदी ने यूरोप सहित दुनिया के अन्य देशों को भी ज्यादा प्रभावित किया तो इसका असर गंभीर हो सकता है

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