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बिलासपुर हाईकोर्ट: निकाय चुनाव से पहले वार्ड परिसीमन का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने निरस्त की सभी याचिकाएं

बिलासपुर. हाईकोर्ट से बड़ी खबर सामने आई है. वार्ड परिसीमन के खिलाफ लगी सभी याचिकाओं को निरस्त कर दिया गया है. जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है. निकाय चुनाव से पहले अब वार्ड परिसीमन का रास्ता साफ हो गया है.

बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले बिलासपुर और राजनांदगांव नगर निगम के सााथ ही तखतपुर, कुम्हारी और बेमेतरा नगर पालिका में होने वाले वार्डों के परिसीमन पर रोक लगा दी थी. मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में हुई, कोर्ट से आए फैसले के बाद राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है.

हाईकोर्ट क महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया, बिलासपुर सहित प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों में वार्डों के परिसीमन को लेकर अलग-अलग 50 से अधिक याचिकाएं हाईकोर्ट में लगाई गई थी. इसमें से 7 याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए परिसीमन पर रोक लगा दी थी. पिछली सुनवाई में 13 याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला देते हुए सभी को खारिज कर दिया है.

परिसीमन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है, उसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार माना गया है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है. जब आधार एक ही है तो इस बार क्यों परिसीमन कराया जा रहा है. यह याचिका बिलासपुर में पूर्व कांग्रेसी विधायक शैलेश पांडेय और कांग्रेस के चार ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू, मोती थारवानी, जावेद मेमन, अरविंद शुक्ला ने तो तखतपुर से टेकचंद कारड़ा ने दायर की थी.

मामले की सुनवाई दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनसंख्या के आधार पर पहले भी परिसीमन किया गया है. कभी भी कोई आपत्ति नहीं आई. इस बार जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है, ताकि प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके. इस पर कोर्ट ने पूछा कि वर्ष 2011 की जनगणना को वर्तमान परिदृश्य में आदर्श कैसे मानेंगे. दो बार परिसीमन कर लिया गया है तो तीसरी बार परिसीमन क्यों किया जा रहा है. इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि परिसीमन से पहले पूरी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया गया है. जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के लिए पहले नोटिस जारी की गई. आपत्तियों का निराकरण भी किया गया. कोर्ट ने सरकार की बात को स्वीकार करते हुए परिसीमन के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

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