Independence Day 2024, Why did Mahatma Gandhi not participate in the independence celebrations: महात्मा गांधी 15 अगस्त 1947 के दिन देश की आजादी की जश्न में नहीं शामिल हुए थे। यहां तक कि उन्हें पत्र भी लिखकर बुलाया गया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
15 अगस्त 1947 को भारतीयों को 200 वर्ष लंबी ब्रिटिश गुलामी और उनके अत्याचारों से मुक्ति मिली थी। इसी दिन देश आजाद हुआ था। अंग्रेजों से देश को मुक्त कराने के लिए अनगिनत क्रांतिवीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। देश की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अहम योगदान रहा। उन्होंने हर स्तर से आजादी के लिए संघर्ष किया। लेकिन जिस दिन भारत आजाद हुआ उस दिन वो आजादी की जश्न में शामिल नहीं हुए थे। आइए जानते हैं आखिर 15 अगस्त के दिन कहां और क्या कर रहे थे राष्ट्रपिता?महात्मा गांधी देश की आजादी के लिए सन 1915 से ही संघर्ष कर रहे थे। उन दिनों वो साउथ अफ्रीका से लौटे थे और गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर वो भारत भ्रमण पर निकले थे। गोपाल कृष्ण को वो अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। इसके बाद साल 1919 में महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण में किसानों के लिए जमीन पर आंदोलन शुरू किया।इसके साथ ही 1930 में नमक के कानून को तोड़ने के लिए उन्होंने दांडी यात्रा जैसे अपने अहिंसक आंदोलनों से नई दिशा दी। देश जब अंग्रेजों से आजाद हुआ ता आजादी की जश्न में लगभग हर कोई शामिल हुआ लेकिन महात्मा गांधी नहीं हुए। यहां तक कि उन्हें पत्र लिखकर संदेश भी दिया गया था। सिर्फ इतना ही नहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू के ऐतिहासिक भाषण में भी महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे।देश आजाद जरूर हुआ लेकिन दो टुकड़ों में। पाकिस्तान बंटवारे के बाद एक ओर भारतीय आजादी का जश्न मना रहे थे तो वहीं देश का एक हिस्सा हिंदू-मुस्लिम दंगों की आग में जल रहा था और इस वक्त महात्मा गांधी कोलकाता में थे।आजादी के दिन बंगाल के नोआखली में हिंदू-मुसलमानों को बीच दंगा भड़का हुआ था। ऐसे में नोआखली में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच शांति कायम करने के लिए महात्मा गांधी गांव-गांव घूम रहे थे।पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को आजादी मिलने की तारीख से एक हफ्ते पहले निमंत्रण के तौर पर एक पत्र भी भेजा था। उन्होंने ये कहते हुए आने से मना कर दिया था कि, देश में हिंदू और मुसलमान फिर झगड़ रहे हैं। ऐसे में आजादी के जश्न में शामिल होने से ज्यादा जरूरी उनके लिए इनके बीच में रहना है।वहीं, आजादी मिलने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जो ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ दिया था जिसे पूरे देश और दुनिया में भी सुना गया था लेकिन गांधी जी ने नहीं सुना था। दरअसल, उस दिन वो 9 बजे ही सोने चले गए थे।