वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई 2024 को वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट लोकसभा में पेश करेंगी। आम चुनाव के बाद आने वाले इस बजट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। लोग अक्सर बजट के बारे में चर्चा तो करते हैं, पर इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं रखते। सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में आपके लिए क्या है यह जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि बजट में पैसा कहां से आता और कहां खर्च होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम चुनावों से पहले इसी साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था। आइए उसी के आधार पर समझते हैं कि बजट में किन-किन मदों से पैदा आता है और कहां-कहां खर्च होता है?
सरकार के पास आने वाले हर एक रुपये में कितना पैसा कहां से आता है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में 47.66 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इस बजट को आधार बना कर देखें तो हम यह समझने में सक्षम होंगे कि बजट के हर एक रुपये का कितना हिस्सा किस मद से आया और कहां गया। पिछले बजट में सरकार ने जो जारी दी थी उसके अनुसार बजट के एक रुपये का 28 पैसा ऋणों और अन्य प्रकार की देयताओं (Borrowings & Other Liabilities) के जरिए जुटाया गया। ऋणों के बाद सरकार के खाते में सबसे ज्यादा राशि आयकर यानी इनकम टैक्स (Income Tax) के जरिए जुटाए गए। इस मद से सरकार के खाते में आए एक रुपये का 19 पैसे आया। उसके बाद 18 से पैसे से अधिक की आमदनी माल व सेवा कर और अन्य करों (GST and other taxes) की वसूली से हुई। कंपनियों पर लगने वाले टैक्सों या निगम कर (Corporation Tax) के जरिए सरकार ने अपने खाते में आने वाले एक रुपये के 17 पैसे जुटाए। अंतरिम बजट के आंकड़ों के अनुसार ऋण भिन्न प्राप्तियों (Non-Tax Receipts) के जरिए सरकार ने एक रुपये का सात पैसे जुटाया। वहीं, केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Union Excise Duties) से सरकार के खाते में पांच पैसे और सीमा शुल्क (Customs) की वसूली से चार पैसे आए। ऋण भिन्न पूंजी प्राप्तियां (Non-Debt Capital Receipts) से सरकार को प्रत्येक एक रुपये में से एक पैसे की आमदनी हुई।
अब जानिए इस एक रुपये में सरकार ने कहां- कितना खर्च करती है?
पिछले बजट के आंकड़ों के अनुसार सरकार के पास जो एक रुपया आता है उसमें से 20 पैसे ऋणों की अदायगी (Interest Payments) में ही चले जाते हैं। अगले 20 पैसे करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी (States’ share of Taxes and Duties) मद में जाते हैं। सरकार अपने पास आने वाले एक रुपये का 16 पैसे केंद्रीय योजनाओं (Central Sector Schemes, रक्षा और आर्थिक सहायता पर होने वाले खर्चे को छोड़कर) खर्च करती है। आठ पैसे राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes) पर खर्च होता है। आठ पैसे रक्षा क्षेत्र (Defence) पर खर्च किया जाता है। वित्त आयोग और अन्य अंतरण मदों (Central Sector Schemes) में भी आठ पैसे ही खर्च किए जाते हैं। आर्थिक सहायता (Subsidies) मद में सरकार 6 पैसे खर्च करती है। पेंशन मद (Pensions) में सरकार की ओर से एक रुपये का चार प्रतिशत खर्च किया जाता है। अन्य मदों (Other Expenditure) में सरकार की आमदनी के हर एक रुपये से नौ पैसे खर्च किया जाता है।