महज 22 साल की शूटर मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत को पहला मेडल दिला दिया। 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में मनु भाकर ने ब्रॉन्ज मेडल जीते हुए इतिहास रच दिया। वह शूटिंग में ओलिंपिक मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला एथलीट बन चुकीं हैं। 221.7 पॉइंट के साथ वह सिल्वर मेडल से बेहद करीबी अंतर से चूक गईं। गोल्ड और सिल्वर मेडल कोरियाई शूटर्स को मिला। यह मनु का दूसरा ओलिंपिक है। तोक्यो ओलिंपिक में मन् भाकर मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद थीं, लेकिन इवेंट के दौरान पिस्टल में आई खराबी के कारण उनका सफर क्वॉलिफिकेशन से आगे नहीं बढ़ पाया था। तोक्यो में लगभग पूरी भारतीय निशानेबाजी दल का प्रदर्शन निराशाजनक रहा लेकिन, आलोचना का सबसे ज्यादा शिकार तब महज 19 साल की रहीं मनु बनीं थीं।
मां के समर्पण ने बनाया मजबूत
तोक्यो ओलिंपिक की निराशा के बाद से मनु ने मानसिक मजबूती पर बहुत काम किया। लाइमलाइट से दूर रहीं और खेल पर पूरा फोकस डाल दिया। नतीजा यह है कि वह न सिर्फ 20 साल में ओलिंपिक फाइनल में हुंचने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बनी बल्कि मेडल भी जीता। उनसे पहले यह कमाल 2004 एथेंस ओलिंपिक में सुमा शिरूर ने किया था हालांकि वह पदक नहीं जीत पाईं थीं। मनु की इस सफलता में उनकी मां का बहुत बड़ा हाथ pe जिन्होंने अपनी बेटी को प्रैक्टिस करवाने के लिए अपनी स्कूल प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ दी थी।