रायपुर में एक बड़े साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से शेयर मार्केट में अधिक मुनाफे का झांसा देकर 1 करोड़ 39 लाख रुपये की ठगी की गई। पीड़ित CA नवीन कुमार ने तेलीबांधा थाना में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है।
जानिए ठगों ने सीए से कैसे की साइबर ठगी
नवीन कुमार ने शिकायत में बताया कि उन्हें फेसबुक के माध्यम से दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़ा गया। एक ग्रुप में 115 लोग शामिल थे, जबकि दूसरे ग्रुप में 45 लोग शामिल थे। इन ग्रुप के सदस्य अक्सर अपने रिव्यू और मुनाफे की रिपोर्ट साझा करते थे। इन रिव्यू को देखकर नवीन कुमार ने भरोसा कर पैसा जमा करना शुरू किया।
शुरुआत में उन्हें अच्छे मुनाफे की वजह से पीड़ित सीए आश्वस्त हो गया और धीरे-धीरे 1 करोड़ 39 लाख रुपये जमा कर दिए। लेकिन समय के साथ उनका मुनाफा कम होता गया और अंत पीड़ित ने पाया कि उनकी पूरी रकम गायब हो चुकी है।
रकम गायब होने पर पीड़ित सीए ने की शिकायत
जब रकम वापस नहीं आई, तो नवीन कुमार ने तेलीबांधा थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर टीम को जांच के लिए तैनात किया गया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है और आरोपियों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
खाता अरेंज करने वाला पकड़ा गया
एक दूसरे केस में रायपुर की रश्मि नाम की महिला ने शेयर ट्रेडिंग के ऐसे ही मामले में मुनाफा कमाने का झांसा देकर 88 लाख रुपए की ठगी होने की रिपोर्ट साइबर थाने में दर्ज करवाई थी । इस मामले की जांच करते हुए पुलिस की टीम ने महिला से मिले खातों की जानकारी, आईपी एड्रेस, फोन नंबर को जांचना शुरू किया।
पुलिस को पी हरिकिशोर सिंह नाम के एक 44 साल के आदमी का पता चला। इसकी लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस पल्लवरम चेन्नई पहुंच गई। वहां इसे पकड़ लिया गया।
जांच में पता चला कि हरि किशोर सिंह सिम कार्ड और खाते अरेंज करता था। फिर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जाकर अपने साथियों के साथ मिलकर इस तरह की ठगी को अंजाम दिया करता था। पता चला कि इस आरोपी के खिलाफ कर्नाटक के बेंगलुरु में भी एफआईआर दर्ज है।
पुलिस आरोपी को पकड़कर रायपुर ले आई है। इस मामले में अलग-अलग खातों में भेजे गए 57 लख रुपए होल्ड कराए गए हैं । फिलहाल, आरोपी हरि किशोर सिंह को न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है, इससे पुलिस बाकी साथियों के बारे में और ठगी के तरीके के बारे में पूछताछ कर रही है।
कोई ऐसे ऑफर दे तो समझिए गड़बड़ है
कोई भी निवेश पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता। अगर कोई आपको गारंटीड रिटर्न का वादा करता है, तो यह एक घोटाला हो सकता है।
निवेश से पहले कंपनी उसके वित्तीय इतिहास और निवेश सलाहकार या प्लेटफॉर्म की पूरी जांच करें।
यह जान लें कि आपका निवेश सलाहकार या प्लेटफॉर्म भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ रजिस्टर हैं। इसकी जानकारी आप SEBI की वेबसाइट पर पा सकते हैं।
वैलिड निवेश कंपनियां आपको सोचने का समय देती हैं। अगर कोई आपसे तुरंत निवेश करने का दबाव डालता है, तो सतर्क रहें।
अपनी पर्सनल जानकारी ऑनलाइन साझा करते समय सावधानी बरतें, खासकर अनजान संपर्कों के साथ। केवल जाने-माने और नियमित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का ही उपयोग
जॉब के नाम पर ठगी:
अधिकांश एजेंसियां केवल नगर निगम से गुमाश्ता लेकर अपना गोरखधंधा चला रही हैं। कंपनी एक्ट के दायरे में आती हीं नहीं। रजिस्ट्रेशन ऑफ फर्म एंड सोसायटी में पंजीयन हो तो भी रूटीन जांच कभी नहीं होती। इसलिए ये तब तक पकड़ में नहीं आते जब तक कि थानों तक शिकायत न पहुंचे। ऐसे में आपका अलर्ट रहना ही आपको ठगी से बचा सकता है।
साइबर ठगी:
पिछले 2 साल में इस तरह के ठगी के मामले बढ़े हैं। भिलाई में इसका सबसे बड़ा मामला मनीष जायसवाल ठगी का था जिसमें ठगों ने उससे 22 लाख का लोन दिलाने के नाम पर 12 लाख ठग लिए। इसके लिए मैकेनिज्म है। लेकिन ठीक से मॉनीटरिंग नहीं होने के कारण खुद सचेत रहने की जरूरत ज्यादा है।
एडमिशन दिलाने के नाम ठगी:
कॉलेजों में एडमिशन और डिग्री के नाम पर ठगी करने वाले संगठित गिरोह सक्रिय हैं। चूंकि ये संगठन के बजाए व्यक्तिगत संबंधों पर ज्यादा आधारित होते हैं। इसलिए इनकी मॉनिटरिंग कठिन हो जाती है। प्रशासन और पुलिस अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करते। शिकायतों का इंतजार रहता है। आप योग्यता पर भरोसा करें। बहकावे में न आएं।
जमीन बिक्री में धोखा:
किसी की जमीन किसी और की बताकर ठगी के ढेरों मामले सामने हैं। इसमें भी रूटीन जांच कभी नहीं होती। सभी मामले तभी सामने आते हैं जब शिकायत होती है। लेकिन तब तक ठगी हो चुकी होती है। सिवाए हाथ मलने के हमारे पास कोई चारा नहीं होता। राजस्व विभाग और जिला प्रशासन इसकी रुटीन जांच नहीं करता। जिससे परेशानी होती है।
इन्वेस्टमेंट के नाम पर झांसा:
यह भी बेहद आम है। पैसे डबल करने के नाम पर, कभी कारोबार बढ़ाने के नाम पर लगातार ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। निवेश करने वाली अधिकांश कंपनियां सहकारी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होती हैं। मार्केट की प्रतिष्ठित कंपनियों से ज्यादा कोई भी फायदा ठगी की ट्रिक हो सकती है। बेहतर है कि किसी पुरानी कंपनी के दफ्तर जाकर तसल्ली से दस्तावेजों की जांच करके ही निवेश करें।