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ट्रेन एंबुलेंस के नाम पर फर्जीवाड़ा, दरवाजे पर फर्श पर सुलाकर यात्रा करवाई,65 हजार रुपए शुल्क वसूले

रायपुर। जरूरतमंद मरीजों के साथ फर्जीवाड़े का एक नया मामला सामने आया है। जिसमें महिला मरीज को ट्रेन एंबुलेंस के नाम पर दरवाजे पर फर्श पर सुलाकर यात्रा करवाई गईं। इसके लिए 65 हजार रुपए शुल्क वसूले गए। पूरे वाकये का फोटो सामने आया है।

पूरा मामला हाफा एक्सप्रेस ट्रेन का है। जिसमें आज रायपुर तक जाने के लिए सृष्टि एक्का नाम की पेशेंट की बुकिंग थी। उनके हाथ, स्पाइन और पैर में कई चोटें और फैक्चर थी। सृष्टि एक्का को ट्रेन के दरवाजे के पास फर्श पर सुलाकर यात्रा करवाई जा रही थी। जिसके चलते ट्रेन के दरवाजे से आवागमन भी बाधित हो रहा था। कुछ यात्रियों के द्वारा पूछने परिजनों ने बताया कि उन्होंने ट्रेन एम्बुलेंस नाम से बुकिंग करवाई थी। पंचमुखी एयर एंड ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस के नाम की कंपनी से उन्होंने बुकिंग करवाई थी। इसके लिए उनसे 65 हजार रुपए डिमांड किए गए थे। 32500 एडवांस पेमेंट दिया गया था। और इतना ही यात्रा के बाद दिया जाना था।

13 सितंबर 2024 को बुकिंग करवाई गई थी। ट्रेन एंबुरलेंस के नाम से पैसे वसूल कर महिला को ट्रेन के दरवाजे पर सुलाकर यात्रा करवाया जा रहा था। धुंधले डॉक्यूमेंट के आधार पर यह समझ में आ रहा है कि खडगपुर से रायपुर है। मरीज के साथ हर्ष एक्का नामक अटेंडर यात्रा कर रहा था। ट्रेन नंबर 12906 के ए (2) बोगी में यह यात्रा हो रही तक की यात्रा मरीज और उसके अटेंडर के द्वारा की जा रही थी। ट्रेन एंबुलेंस के नाम से दरवाजे पर फर्श पर लिटाकर महिला मरीज को ले जाया जा रहा था।

पंचमुखी एयर एंड ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस की रसीद में जो नंबर दिया है उसमें फोन लगा कर बात करने पर बताया गया कि ट्रेन एंबुलेंस के नाम से स्पेशल कोई ट्रेन नहीं चलाई जाती और ना ही कोई स्पेशल बोगी होती है। रूटीन की जो यात्री ट्रेन होती है उसी में वेंटिलेटर ऑक्सीजन और अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण लगाकर उसे आईसीयू का रूप दे दिया जाता है। यह पूछने पर कि क्या इसके लिए रेलवे से कोई अनुमति ली जाती है तब जवाब दिया गया किसके लिए कोई विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

फर्श पर लेटा कर यात्रा करवाने के सवाल पर कहां गया कि महिला के पैर में रॉड लगा था जिसके चलते बोगी में एंट्री करवाने के लिए उन्हें मोडते नही बन रहा था। उन्हें वापस उतार कर रोड एंबुलेंस से ले जाया जाता पर तब तक ट्रेन निकल गई और समय नहीं बचा, इसलिए मजबूरीवश उन्हं दरवाजे पर लेटकर यात्रा करनी पड़ी।

इस मामले में रेलवे बिलासपुर के सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया कि रेलवे के द्वारा इस तरह से ट्रेन एम्बुलेंस के नाम से कोई भी अनुमति नहीं दी जाती। टरेन एंबुलेंस की कोई भी सुविधा आम यात्रियों यहां तक कि रेलवे के अधिकारी-कर्मचारी तक के लिए उपलब्ध नहीं है। हमारे यहां खुद एक अप्रंटिस की मौत होने पर हमारे द्वारा उसके शव को एंबुलेंस के माध्यम से सड़क मार्ग से उसके घर भुसावल भिजवाना पड़ा था। सीनियर डीसीएम अनुराग सिंह ने जनता को इस तरह की ठगी से बचने के लिए अपील की है।

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