मुंबई: सातवीं, आठवीं और दसवीं फेल लोग कैसे उच्च शिक्षा प्राप्त पढ़े-लिखे लोगों को वेबकूफ बनाकर उन्हें आनलाइन फ्रॉड का शिकार बना रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण मुंबई पुलिस की साइबर सेल के पश्चिम क्षेत्र के तहत दर्ज एक केस में देखने को मिला है। साइबर पुलिस से जुड़े सूत्रोंने बताया कि पिछले दिनों एक डॉक्टर से कथित तौर पर 15 लाख रुपये की आनलाइन धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया गया था। इस केस की जांच में उन्होंने के चंडीगढ़ से एक महिला सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक भी आरोपी दसवीं पास नहीं है। लेकीन, वे लोगों को अपनी बुद्धि बल का इस्तेमाल कर आनलाइन तरीके से उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों के साथ फ्रॉड कर रहे हैं। हालांकि, यह गैरकानूनी हैं लेकिन पढ़े लिखे लोगों का इन कम पढे लिखे लोगों की बातों में आकर इनके द्वारा ठगी का शिकार बन जाने से चिंतित हैं। चंडीगढ से गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 36 वर्षीय किरण सीताराम और 25 वर्षीय विशाल मोंटू के रूप में हुई है। इनसे पूछताछ जारी है।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का दावा
पुलिस ने बताया कि इन आरोपियों में से एक आरोपी ने खुद को दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताया और पीड़ित डॉक्टर से कहा कि उसका आधार कार्ड और पैन कार्ड दिल्ली पुलिस के पास है, जिसका उनके आफिस में लेटर आया था कि उक्त एड्रेंस वाले व्यक्ति मनी लॉन्ड्रि। के आपराध में शामिल है। इसलिए हम आपकी मोबाइल सेवाएं निलंबित करने जा रहे हैं। इसके साथ ही फोन काट दिया।
गैर-जमानती वारंट जारी कर गिरप्तारी की धमकी इसके कुछ ही देर बाद एक और व्यक्ति का पुलिस की वर्दीमें स्काइप के जरिए विडियो कॉल आया। उसने भी खुद को पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उसके खिलाफ दूर संचार कंपनी ने शिकायत दी है। इसलिए उसके खिलाफ़ केस दर्ज की जा रही है और उसके नाम पर गैर-जमानती वारंट भी जारी किया जा रहा है। इसके बाद उसे गिरप्तार कर लिया जाएगा।एफआईआर के अनुसार, पुलिस वर्दी में कथित पुलिस अधीक्षक की उक्त बातें सुनकर वह डॉक्टर घबरा गया और उसने इससे कानूनी फेर में फंसने से बचने के लिए उसी कॉलर यानी फर्जी पुलिस अधीक्षक को कॉल किया। आरोप है कि उस फर्जीं पुलिस अधीक्षक ने डॉक्टर को मामले को रफा दफा करने के लिए किस्तों में ऑनलाइन तरीके से 15 लाख ऐंठ लिए।
मनी लांड्रिंग साइबर स्कैम से ऐसे बच सकते हैं-
-पढ़े-लिखे लोग और अनपढ़ लोगों द्वारा बात करने के ‘टोन” में फर्क को समझने का प्रयास करें।
-अनजान लोगों द्वारा मनी लांड्रं, आधार कार्ड ऐड्रेस आदि पर आधरित कॉल को नजरंदाज करें।
– एक मिनट के लिए सोचें, जब आप ऐसा लेनदेन कभी किए ही नहीं हैं, तो फसेंगे क्यों?
-किसी के साथ किसी भी हाल में कोई भी OTP शेयर नहीं करें।
-जालसाजों के चककर में फंसने से बचने के लिए वाट्सएप मेंटू फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑष्शन को ऑन करके रखें
– पहचान वाले और रिश्तेदार आदि लोगों के नाम और नंबर उनके डीपी के साथ मोबाइल में सेव करके रखें