रायपुरः छत्तीसगढ़ की एक महिला सरोजिनी चौहान, जिनकी उम्र 33 साल है, को गुरुवार सुबह ओडिशा के झारसुगुडा जिले में मछुआरों ने महानदी से बचाया। सरोजिनी के पैर जंजीर से बंधे हुए थे और वो उफनती महानदी में बह रही थीं। हैरानी की बात यह है कि वो लगभग 17 किलोमीटर तक पानी में बहे जाने के बाद भी जिंदा बच गईं
छत्तीसगढ़ की रहने वाली है महिला
सरोजिनी छत्तीसगढ़ के सारंगढ-बिलाईगढ़ जिले के सरिया थाना क्षेत्र के पुरत गांव की रहने वाली हैं। रमेश सेठ और उनके बेटे दानी, जो पलसदा गांव के रहने वाले हैं, सुबह मछली पकड़ने महानदी गए थे। जब वो नाव से नदी में जा रहे थे, तभी उन्हें पानी से ‘बचाओ, बचाओ’ की आवाज सुनाई दी। उन्होंने अपनी नाव घुमाई तो देखा कि सरोजिनी पानी में बह रही हैं। रमेश और उनके बेटे ने दूसरे मछुआरों की मदद से सरोजिनी को पानी से बाहर निकाला। तब तक सरोजिनी लगभग 17 किलोमीटर तक बह चुकी थीं।
कैसे रह गईं जीवित
यह अब भी रहस्य बना हुआ है कि आखिर वो पैरों में जंजीर बंधे होने के बावजूद इतनी देर तक पानी में कैसे जीवित रहीं। मछुआरों ने तुरंत इसकी सूचना रेंगाली पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सरोजिनी को लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। झारसुगुडा के SP स्मित परमार परसोत्तमदास ने बताया कि सरोजिनी की हालत स्थिर होने के बाद पुलिस ने उनके परिवार और सरिया पुलिस को सूचित किया। सरोजिनी के भाई जगदीश चौहान और उनकी पत्नी अस्पताल पहुंचे और बाद में उन्हें घर ले गए।
मानसिक रूप से बीमार है महिला
जगदीश ने बताया कि सरोजिनी की शादी पांच साल पहले हई थी और उसके बाद से ही वो मानसिक रूप से बीमार हैं। उनकी हालत बिगड़ने पर वो अपने परिवार के पास पुरत गांव लौट आई थीं। पुलिस को शक है कि मानसिक स्थिति ठीक न होने की वजह से उनके पैरों में जंजीर बांधी गई थी। बीती रात जब परिवार के सभी लोग खाना खाने के बाद सोने चले गए, तो सरोजिनी घर से बाहर निकल गईं और किसी तरह नदी तक पहुंच गईं और बहते हुए ओडिशा तक आ गईं।
लोग मान रहे चमत्कार
स्थानीय लोग इस घटना को चमत्कार मान रहे हैं। एक ग्रामीण ने कहा कि यह भगवान का चमत्कार ही है कि वो इतनी दूर तक महानदी में ज़िंदा बची रहीं, वो भी तब जब लगातार बारिश की वजह से नदी उफान पर है। यह घटना स्थानीय मछुआरों की बहादुरी को भी दर्शाती है।