CG TAHALKA

Trend

क्या है Shinkun La Tunnel Project जिसका पीएम मोदी ने किया उद्धाटन,देखे video

Shinkun La Tunnel Project: कारगिल विजय दिवस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक बड़ी सौगात दी है। पीएम नरेंद मोदी ने लद्दाख में कारगिल विजय दिवस की 2 5वीं वर्षगांठ के मौके पर वर्चुअली लद्दाख में शिकुन ला सुरंग (टनल) परियोजना का पहला विस्फोट यानि उद्धाटन किया।यह सुरंग 4.1 किमी लंबी होगी और इसका निर्माण निमू-पदुम- दारचा रोड पर 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंदरमोदी ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट आरंभ करके कारगिल विजय दिवस पर शहीदों का नमन किया है। आइये जानते हैं शिंकुन ला सुरंग क्यों खास है। शिंकुन टनल 1 5800 फीट की ऊंचाई पर बनाई जा रही है और विश्व की सबसे लंबी टनल है। इसकी लंबाई 4.1 किलोमीटर है. यह टनल एक ट्विन-ट्यूब यानी की त दो मार्गों वाली सुरंग है। इसका निर्माण बीआरओ द्वारा निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर किया जा रहा है।

सेना के लिए होगी उपयोगीशिंकुन ला सुरंग भारतीय सेना के लिए बेहद खास होने वाली है। इस टनल भारतीय सेना को हर मौसम में एलएसी का एक्सेस प्रदान करेगी. इस टनल के निर्माण से लद्दाख में वर्ष भर सुचारू रूप से आवाजाही होगी. सेना को उनकी आवश्यकताओं के मुताबिक संसाधन मिल सकेंगे, जैसे हथियार सप्लाई, खाद्य सामग्री और ईंधन हर मौसम में मिल सकेगा। यह सुरंग युद्ध की स्थिति में न केवल आसानी से आवाजाही के लिए खास होगी, बल्कि युद्ध के समय हथियारों मिसाइलों और ईधन के भूमिगत भंडारण के लिए भी इस्तेमाल आ सकती है।चीन और पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
.
इस डबल लेन सुरंग में हर 500 मीटर पर क्रॉस रोड होगा। सुरंग की खासियतों में सुपरवाइजरी कंट्रोल और डेटा अधिग्रहण प्रणाली (एससीएडीए), मैकेनिकल वेंटिलेशन, फायर ब्रिगेड और कम्युनिकेशन सिस्टम्स शामिल हैं। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक अहम कड़ी के रूप में काम करेगी।
भारत ने बीते कुछ अरसे से रणनीतिक तौर से भी देश भारत- चीन की सीमा पर विशेष फोकस किया है। कुछ दिनों पूर्व अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिद्वार-तवांग मार्ग पर 825 करोड़ रुपए की लागत से सेला सुरंग बनाई गई थी। शिंकुन ला सुरंग 2027 तक देश के लिए खोल दी जाएगी। इस टनल से पाक और चीन सीमा तक भारतीय सेना की पहुंच सरल हो जाएगी। मौजूदा समय में लेह-लद्दाख के लिए पहला विकल्प जोजिला पास जो पाकिस्तान बॉर्डर क्षेत्र से सटा है और दूसरा विकल्प बारालाचा निकट है, जो चीन सीमा से सटा है. अब यह तीसरा रास्ता शंकुला पास में टनल के माध्यम से बनेगा। इस वजह यहां से सेना के वाहनों की गतिविधि की जानकारी दुश्मन को नहीं लग पाएगी।2027 में खुल जाएगी सुरंगलंबी टनल तीन साल यानी कि 2027 तक देश के लिए ओपन हो जाएगी। टनल से पाक और चीन सीमा तक भारतीय सेना की पहुंच आसान होगी। मौजूदा समय में लेह-लद्दाख के पहला विकल्प जोजिला पास जो पाकिस्तान सीमा क्षेत्र से है और दूसरा विकल्प बारालाचा पास है, जो चीन सीमा स है। अब यह तीसरा मार्ग शिंकुला पास में टनल के माध्यम बनेगा. इस कारण यहां से सेना के वाहनों की गतिविधिर्व जानकारी दुश्मन को नहीं लग पाएगी।

Share This News

WhatsApp
Facebook
Twitter

Recent Post

You cannot copy content of this page