सर्वोच्च न्यायालय ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘NEET-UG’ 2024 को रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सख्त रुख अपनाया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में दायर कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रश्नपत्र लीक हुए हैं, हम इससे इनकार नहीं कर सकते। न्यायालय ने कहा कि हम लीक की प्रकृति पर विचार कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “प्रश्नपत्र लीक पर विवाद नहीं किया जा सकता। हम इसके परिणामों पर भी विचार कर रहे हैं। हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रहते हैं, लेकिन पुनः परीक्षा पर निर्णय लेने से पहले हमें हर पहलू पर विचार करना होगा क्योंकि हम जानते हैं कि हम 23 लाख छात्रों के भविष्य की बात कर रहे हैं।”
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय,
यह एक प्रतिकूल मुकदमा नहीं है, क्योंकि हम जो भी निर्णय लेंगे, वह छात्रों के जीवन को प्रभावित करेगा। पिछले वर्षों में 67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे, अनुपात बहुत कम था।
दूसरा, केंद्रों में बदलाव, यदि कोई अहमदाबाद में पंजीकरण करता है और अचानक चला जाता है। हमें अनाज को भूसे से अलग करना होगा ताकि पुन: परीक्षण किया जा सके। हम NEET के पैटर्न को भी समझना चाहते हैं।
केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने शुक्रवार को न्यायालय में विनम्रतापूर्वक कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘गंभीर असर’ पड़ सकता है। न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई 8 जुलाई की वाद सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ परीक्षा से संबंधित कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
NTA सरकारी और निजी संस्थानों में MBBS, BDS, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए NEET-UG का आयोजन करती है। इस साल 5 मई को यह परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
प्रश्न पत्र लीक समेत अनियमितताओं के आरोपों को लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए तथा विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया। परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में अदालतों में भी कई मामले दायर किए गए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और NTA ने उन याचिकाओं का विरोध करते हुए अलग-अलग हलफनामे दाखिल किए हैं, जिनमें विवादों में रही इस परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है. उन्होंने अपने जवाब में कहा कि CBI ने विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को अपने हाथ में ले लिया है.