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पद्मश्री डॉ.डावर :-20 रुपए फीस लेकर रोज 150 से 200 मरीजों को देखते हैं ,1971 की जंग में जवानों के ज़ख्म भरे

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. मध्य प्रदेश के जबलपुर के वयोवृद्ध मानवसेवी डॉक्टर (कैप्टन) एम सी डावर को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. 77 वर्षीय डॉ. डावर आज भी 20 रुपए की मामूली फीस पर मरीजों का इलाज करते हैं.

सेना में डॉक्टर रहे, 1971 की जंग में हिस्सा लिया

डॉ. डावर का जन्म आज के पाकिस्तान में 1946 में हुआ था। डेढ़ साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। परिवार के सहयोग से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पंजाब के जालंधर से की, जिसके बाद जबलपुर, मध्य प्रदेश से उन्होंने MBBS की डिग्री हासिल की।
डॉ. डावर ने बताया कि जब उन्होंने सेना में भर्ती के लिए एग्जाम दिया था, तब 533 उम्मीदवारों में से केवल 23 ही चयनित हुए थे। इनमें से वेंनंबर पर डॉ. डावर का नाम था।

1971 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में की गईं। डॉ. डावर ने न जाने कितने घायल जवानों का इलाज किया। हालांकि, जंग खत्म होने के बाद कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा। इसके बाद 1972 से उन्होंने जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।

2 रुपए से शुरुआत कर लाखों की मदद की

10 नवंबर 1972 डॉ. डावर के लिए यह दिन बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन जबलपुर में उन्होंने अपने पहले मरीज की जांच की थी। उन्होंने बताया- 1986 तक 2 रुपए फीस लेने के बाद मैंने 3 रुपए लेना शुरू किए। 1997 में 5 रुपए और फिर आर्थिक समस्याओं के चलते 15 साल बाद 2012 में फीस 10 रुपए तक बढ़ाईं। पिछले साल नवंबर से ही फीस 20 रुपए कर दी गई है।

आखिर डॉ. डावर इतनी सी फीस में इतने खचें कैसे संभालते हैं? इसका जवाब उनका ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ का दर्शन है। उन्होंने 1972 में अपने कि्लिनिक के लिए जो टेबल, कुर्सी और हॉस्पिटल बेड खरीदा था, उसे आज भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी तरह पैसे की बचत कर डॉ. डावर ने अपने बेटे और बेटी को भी अच्छी शिक्षा दी।

डॉक्टर ऐसे कि लोग इनकी सेहत की दुआ मांगते हैं

कुछ मरीज तो ऐसे हैं जो कोई भी तकलीफ होने पर सालों से इन्हीं के पास आते हैं। ये मरीज केवल जबलपुर ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी आते हैं। डॉ. डावर ने बताया- मुझे लोगों का बहुत प्यार मिलता है। 1986 में किडनी फेलियर के बाद मेरे पेशंट्स मेरे लिए प्राथना करने मैहर के शारदा देवी मंदिर से लेकर गुरुद्वारों तक गए थे। आज मैं जो कुछ भी हूं, सिर्फ इन्हीं की दुआ से हूं।

हर रोज करते हैं 200 मरीजों का इलाज

डॉ. डावर पिछले 51 साल से हफ्ते के 6 दिन रोजाना 200 मरीजों का इलाज करते हैं. उनके पास तीन पीढ़ियों के मरीज हैं. कुछ मरीज तो किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर सालों से इन्हीं के पास आते हैं. डॉ. डावर के पास मरीज केवल जबलपुर से ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी आते हैं.

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