बिलासपुर :-जिले की एक अदालत में पदस्थ बाबू ने जुर्माने के रूप में जमा की गई रकम का गबन कर लिया। अदालत की आंखों में धूल झोंकने के लिए बैंक में चालान के माध्यम से कोषालय में रकम जमा होने का फर्जी चालान जमा कर न्यायालय के रजिस्टर में संलग्न कर दिया। मामले की भनक लगने पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सेशन जज से जांच करवा जांच रिपोर्ट के आधार पर अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए। अदालत के आदेश पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
कोटा स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में पदस्थ बाबू जुर्माने की राशि कोषालय में जमा करने बजाए हजम कर गया। अपनी गलती छुपाने के लिए उसने फर्जी चालान की रसीद न्यायालय में जमा की। कोषालय से पत्र मिलने के बाद इसकी जांच कराई गई। जांच में करीब 30 चालान फर्जी पाए गए। जांच रिपोर्ट के आधार बाबू के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में जुर्म दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। सिविल लाइन पुलिस को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश का एक पत्र मिला है। न्यायालय के उप अधीक्षक महेंद्र कुमार सोनटेके ने लेखा जांच प्रतिवेदन 24 दिसंबर 2022 को प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने न्यायालय द्वारा अर्थदंड के मद में जमा की गई राशि को चालान के माध्यम से कोषालय में जमा होने के संबंध में भौतिक सत्यापन कराए जाने की मांग की थी।
इस पर वरिष्ठ जिला कोषालय अधिकारी ने तीन मई 2024 को सत्यापन रिपोर्ट पेश की। इसमें द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश आशीष डहरिया और कल्पना भगत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोटा के न्यायालय के अर्थदंड की राशि एक लाख 88 हजार कोषालय में जमा नहीं होने की बात कही। जांच में पता चला कि मजिस्ट्रेट आशीष डहरिया के न्यायालय के सात मामलों में इस तरह की गफलत की गई है। इसके अलावा कल्पना भगत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोटा के 24 मामलों के अर्थदंड को चालान के माध्यम से कोषालय में जमा करने के बजाए गफलत की गई। इसे छुपाने के लिए न्यायालय के रजिस्टर में फर्जी चालान की कापी जमा की गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पुलिस को जुर्म करने का आदेश दिया है। इस पर पुलिस ने 409,420,466,467,468, 471,472,474,475 के तहत जुर्म दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।