बिलासपुर। कालेश्वर महादेव मंदिर, भरनी यहां काले पत्थर से निर्मित दिव्य शिवलिंग की स्थापना की गई है, जो भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। इसके साथ ही इस मंदिर का दर्शन करने के लिए न केवल स्थानीय, बल्कि बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। व्यापारी, अधिकारी, सांसद, विधायक, मंत्री सभी इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था रखते है
कालेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास लगभग 500 वर्षों पुराना है। ग्रामीणों के अनुसार, इसका निर्माण अर्धरात्रि में हुआ था, और यह स्थान कभी घने जंगलों से घिरा हुआ था। जंगल के कारण यहां कोई भी आने-जाने से कतराता था। समय के साथ, मंदिर का आवरण काला पड़ गया और इसे ‘करिया मंदिर’ के नाम से जाना जाने लगा। लोक मान्यता के अनुसार, मंदिर का नाम करिया मंदिर इसीलिए पड़ा क्योंकि समय के साथ यह काले रंग का हो गया था। यह मंदिर स्थानीय मान्यताओं और आस्था का प्रतीक बन गया है, और इसके ऐतिहासिक महत्व को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं।
संतान प्राप्ति की मनोकामना होती है पूरी
कालेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता निःसंतान दंपतियों के लिए है, जिन्हें यहां आकर संतान प्राप्ति की मनोकामना होती है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनौती मांगते हैं और उनकी सूनी गोद भर जाती है। मंदिर के सेवादारों के अनुसार, मंदिर के अंदर एक रहस्यमयी सुरंग है। इसमें पानी भरने पर उसका स्तर नहीं बढ़ता। इसके अलावा, एक समय यहां नाग-नागिन का जोड़ा देखा गया था, जिन्हें मारने के बाद सरोवर का पानी लाल हो गया था। इस घटना के बाद मंदिर की महिमा गांव में फैल गई और यहां भोलेनाथ की पूजा-अर्चना शुरू हो गई।
मंदिर के अंदर स्थित सुरंग के रहस्य के बारे में दादाजी स्व. दीनदयाल अवस्थी कहा करते थे कि इस सुरंग का पानी कभी नहीं भरता था। यह सुरंग आज भी मौजूद है और इसके साथ ही मंदिर की अद्भुत महिमा भी बरकरार है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और भक्तजन रात 12 बजे से ही कतार में खड़े हो जाते हैं। मंदिर की ख्याति अब छत्तीसगढ़ से बाहर भी फैल चुकी है, और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं।