रायपुर। प्रायवेट स्कूलों में 50 परसेंट से अधिक बच्चों के ड्रॉप आउट का भंडाफोड़ होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने गरीब बच्चों की निगरानी के लिए न केवल निगरानी कमेटी बनाई है बल्कि अफसरों को स्कूल वाइज गरीब बच्चों का विषय बनाया गया है। इससे प्रायवेट स्कूल संचालक दुखी हैं। कई मांगों को लेकर उन्होंने आज विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को ज्ञापन दिया। प्रायवेट स्कूल एसोसियेशन ने स्पीकर को सौंपे पत्र में विभिन्न मांगों का ब्यौरा दिया। वह इस प्रकार है…
1. पिछले 12 वर्षों से RTE की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है. आर.टी.ई. की राशि प्राथमिक कक्षाओं में 7000 से बढ़कर 15000, माध्यमिक की 11,500 से बढ़ाकर 18,000 एवम हाई और हायर सेकंडरी की अधिकतम सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 तक किया जाय.
2. RTE के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक,गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने के संबंध में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में 14 सितंबर 2022 को अंतरिम आदेश देते हुए उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों के क्रियान्वयन पर संगठन को स्टे प्रदान कर दिया है. उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश तक किसी भी स्कूल पर कार्यवाही पर रोक लगाई जाये
3. बसों की फिटनेस अवधि छत्तीसगढ़ में 12 वर्ष है जबकि देश के अधिकांश राज्यों में यह अवधि 15 वर्ष है. बसों की फिटनेस अवधि छत्तीसगढ़ में भी 15 वर्ष किया जाये .
4. निजी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी सरस्वती साइकिल योजना का लाभ दिया जाए.
5. बजट में RTE की प्रतिपूर्ति राशि हेतु 65 करोड़ का प्रावधान है जबकि इतने सालों में छात्र संख्या बढ़ने के कारण यह राशि अब पर्याप्त नहीं है .इसे बढ़ाकर 150 करोड़ किया जाना चाहिये .हर वर्ष स्कूलों को आर.टी.ई. की प्रतिपूर्ति राशि प्रदान करने में विभाग से इसीलिए विलंभ होता है.
6. अशासकीय स्कूलों की मान्यता नियमों को सरलीकृत एवं प्रदेश में एक समान किया जाए तथा मान्यता 5 वर्षों के लिए प्रदान किया जाए.हर जिले में अलग नियमों का पालन होता है कोई जिला एक साल ,कोई तीन साल के लिए मान्यता का नवीनीकरण करता है.
7. छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश 11 जून 2024 (इस आदेश में एक जिला स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है ) एवं छत्तीसगढ़ शासन, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश 19.06.2024 (जिसमें प्रत्येक स्कूल में मेंटर की नियुक्ति की गई है) यह दोनों आदेश और अशासकीय विद्यालयों जो किसी भी तरह का अनुदान प्राप्त नहीं करते उनमें एक गैर जरूरी दखल है. इसे रद्द किया जाये.