छत्तीसगढ़ सरकार नवा रायपुर को एनसीआर की तर्ज पर एससीआर यानी स्टेट कैपिटल रीजन बनाना चाहती है। सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से अलग से बजट भी मांगा है।
छत्तीसगढ़ सरकार नवा रायपुर को एनसीआर की तर्ज पर एससीआर यानी स्टेट कैपिटल रीजन बनाना चाहती है। c नवा रायपुर में 500 करोड़ खर्च कर सरकारी आलीशान बंगले बनाए गए हैं। ये बंगले मंत्रियों और आला अफसरों के लिए बनाए गए हैं। बंगले बनकर तैयार हैं लेकिन इसमें रहने वालों की दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही। यहां पर एक अदद मंत्री की ही नेम प्लेट नजर आती है। यानी कुल जमा एक मंत्री ही नवा रायप्र के बंगले में शिफ्ट हुए हैं। अब सवाल ये हैकि नवा रायपुर में माननीयों की रुचि नहीं होगी तो फिर आम जनता यहां क्यों आएगी।
500 करोड़ के बंगले लेकिन गृहप्रवेश नहीं
नवा रायपुर के सेक्टर 24 में लगे इस बो्ड से ही आप समझ गए होंगे कि यहां पर मंत्रियों के बंगले बनाए गए हैं। एक बंगला डेढ़ एकड़ एरिया में बनाया गया है। इसको देखकर ही आप समझ गए होंगे कि ये सरकारी आवास कितने आलीशान और भव्य बनाए गए हैं। यहां पर मंत्रियों और आला अफसरों को रहना है।
बंगलों के मेन गेट पर छत्तीसगढ़ी छटा दिखाई दे जाएगी। यहां पर मोर और आदिवासियों की कलाकृतियां बनाई गईं हैं। यहां पर 500 करोड़ की लागत से 92 बंगले बनाए गए हैं। इनमें 14 बंगले मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के लिए और 78 बंगले अफसरों के लिए ही बनाए गए हैं। इतनी भव्यता से बनाए गए ये बंगले खाली पड़े हैं। यहां पर सिर् एक मंत्री और 10 अफसर ही शिफ्ट हए हैं।
नेताम ने बनाया अपना आशियाना
नवा रायपुर के इन बंगलों में आदिम जाति कल्याण और कृषि मंत्री रामविचार नेताम ही शिफ्ट हुए हैं। हालांकि उनकी शिफ्टिंग भी पूरी तरह नहीं हुई है लेकिन उन्होंने घर का उद्धाटन कर दिया है। इस पूरे एरिया में एक ही उनकी ही नेम प्लेट नजर आती है। बाकी पूरा एरिया वीरान नजर आता है। यहां पर सिर्फ चौड़ी सड़कें और खाली पड़े बंगले ही दिखाई देते हैं। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को भी यहां पर सरकारी बंगला आवंटित हो चुका है लेकिन वे भी अपने पुराने आवास पर ही रह रहे हैं। वहीं 15 अफसरों को यहां पर बंगले एलॉट हुए हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 10 अफसर ही यहां पर शिफ्ट हए है।
नवा रायपुर में सभी सरकारी ऑफिस
नवा रायपुर में सभी सरकारी ऑफिस हैं। राज्य मंत्रालय महानदी भवन, संचालनालय इंद्रावती भवन, मंडी बोर्ड, संवाद, सायबर सेल, एमएलए रेस्ट हाउस,पुलिस मुख्यालय समेत सभी सरकारी दफ्तर यहीं पर हैं। यहां पर नई विधानसभा, सीएम हाउस और राजभवन भी बनाया जा रहा है।
‘तीन एकड़ में स्पीकर हाउस बनाया जा रहा है। वहीं साढ़े सात एकड़ में दो मंजिला सीएम हाउस भी तैयार हो गया है। 14 एकड़ में राजभवन तैयार किया जा रहा है। यहां पर सरकारी दफ्तर तो पहुंच चुके हैं लेकिन बसाहट नहीं बढ़ पा रही है।
बंगलों के मेंटनेंस पर खर्च हो रहे लाखों
नवा रायपुर बसाने के पीछे सरकार का मकसद यही था कि यहां पर आबादी बढ़ेगी, निवेश आएगा और रोजगार के साधन बढ़ेंगे। वहीं रायपुर पर आबादी और ट्रेफिक का दवाब कम होगा। सरकारी वाहनों की आवाजाही से होने वाली ट्रेफिक जाम की शिकायत से भी निजात मिल जाएगी। लेकिन यहां रहने में मंत्री ही दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। बनकर तैयार खडे इन बंगलों के मेंटनेंस पर लाखों रुपए महीने का खर्च हो रहा है।