रायपुर : किसी भी इंसान की मृत्यु के बाद उसका पोस्टमार्टम करवाना पड़ता है.मृत्यु यदि संदिग्ध हो तो पोस्टमार्टम बेहद जरुरी हो जाता है. पोस्टमार्टम में मृतक के शरीर का चीरफाड़ किया जाता है. जिसके कारण कई परिजन इसे नापसंद करते हैं.इसे लेकर छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहार में बड़ी तैयारी की जा रही है.
चीरफाड़ से मिलेगी मुक्ति
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल मेकाहारा में पोस्टमार्टम के लिए अब चीरफाड़ करने से मुक्ति मिलेगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक मशीन खरीदी जाएगी. जो कम समय में पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंप देगी. इससे ना तो शव का चीरफाड़ करना पड़ेगा और ना ही रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा. इसकी पुष्टि पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर विवेक चौधरी ने की है. हालांकि इस मशीन के आने में अभी थोड़ा समय है.
मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए शव का चीरफाड़ किया जाता है. चीरफाड़ करके शरीर के आंतरिक अंगों को निकाला जाता है. शव काटकट हार्ट, लिवर, किडनी और शरीर के अन्य अंग निकाले जाते हैं. फिर डॉक्टरों की टीम इनकी जांच कर मौत की वजह का पता लगाती है.इसके बाद निकले गए अंगों को वापस शव में लगाकर सिल दिया जाता है. लेकिन अब मेकहारा में जल्द ऐसी पोस्टमार्टम मशीन लाई जाएगी जिससे पोस्टमार्टम के दौरान चीर फाड़ की प्रक्रिया को नहीं अपनाना पड़ेगा.
कंपनियों से मांगी गई है जानकारी
पंडित जवाहरलाल नेहरु चिकित्सा महाविद्यालय डीन डॉ विवेक चौधरी ने कहा कि पोस्टमार्टम स्टिमुलेटर से शव परीक्षण कर सकते हैं. इसकी कीमत लगभग 7 से 8 करोड़ रुपए है. इसके लिए जो भी इससे संबंधित कंपनियां हैं, उनसे मशीन के बारे में जानकारी मंगाई है. वे आएंगे और अपना प्रेजेंटेशन देंगे, इसके बाद संबंधित विभाग से इसके लिए बजट का प्रावधान कराया जाएगा. इसके बाद यह मशीन लाई जाएगी. उम्मीद है कि इस मशीन के आने के बाद हमें पोस्टमार्टम में सहायता मिलेगी और कम समय में शव परीक्षण किया जा सकेगा, इससे काम में सहूलियत होगी.
डॉ विवेक चौधरी ने कहा कि जब तक उस मशीन का प्रजेंटेशन डेमोंसट्रेशन नहीं देख लिया जाए , तो ज्यादा बोलना ठीक नहीं होगा. मुझे लगता है कि इस मशीन के आने से पोस्टमार्टम में लगभग आधा समय लगेगा. एक पोस्टमार्टम में लगभग एक से डेढ़ घंटा लगता है , इससे तत्काल रिपोर्ट बनाने में आसानी होगी.यह मशीन भारत में शायद एक दो जगह पर ही है, इसकी विस्तृत जानकारी कंपनी से चर्चा करने के बाद ही पता चलेगी कि देश में कितने जगह पर कितनी मशीन लगी है.